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लेखनी प्रतियोगिता -08-Dec-2023 "वनवास"

  वनवास

सिया कर रही तैयारी राम संग वनवास जाने की
सोच कर ये राम का दिल है बड़ा बे हाल
रहेंगी वह कैसे वन में मेरे साथ
वो तो है नाजुक और कोमलता की है शान..!! 

सिया को बारंबार राम रहे समझाए 
करो ना ज़िद सुनो तुम बात कठिन ज़िंदगी की ये राहे
जंगल में कैसे करोगी व्यतीत दिन और रात 
जंगली जानवरों का होगा वहां भारी भूचाल...!! 

ना मिलेगा अन्न खाने को वहां हर बार
कंदमूल ही होंगे हम सब का आहार
सिया तुम सुनो हमारी बात
ना करो यह ज़िद ज़िद्द बेकार की तुम आज..!! 

सिया यह सुनकर हुई थोड़ी सी दुखी और नाराज
पिया से कहने लगी सुनो तुम आज मेरी यह बात
माना महलों की हूँ राजकुमारी और भराजीवन खुशियोँ से हज़ार
पर अब हूं धर्मपत्नी आपकी सुन लो आज यह मेरी बात
रहूंगी वहां जहाँ रहोगे आप चाहे हो जंगल या महलों का वास
नहीं मानूँगी आज आज्ञा आपकी चलूंगी वहीं जहाँ होगा मेरे पर्मेश्वर का स्थान..!! 

त्याग में दूंगी सारा राजसी ठाठ और बाट
मेरी दुनिया होगी वहां जहां है मेरा जीवन साथी का निवास
चलूंगी पग पग साथ तुम्हारे छोड़ दूंगी ये दुनिया तेरे साथ
हूं अर्धांगिनी तुम्हारी चाहे जो भी हो स्थिति रहूँगी तुम्हारे ही साथ
आँखों में भर आँसू खड़ी हो गई अपने प्रभु के पास
हार गये देख जिद्द सिया की चल पड़े वन को पकड़ सिया का हाथ...!! 

मधु गुप्ता "अपराजिता"

✍️✍️🙏🙏✍️✍️



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6 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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kashish

12-Dec-2023 03:58 PM

Very nice

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Sushi saxena

11-Dec-2023 02:19 PM

V nice

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